इनोसेंट हार्ट्स के इनोकिड्स में मनाया गया ‘ग्रैंड पैरेंट्स डे’

जालंधर 15 सितंबर (विष्णु) इनोसेंट हार्ट्स स्कूल के पाँचों स्कूलों (ग्रीन मॉडल टाऊन, लोहारां, नूरपुर रोड, कैंट जंडियाला रोड व कपूरथला रोड) के इनोकिड्स में ‘ग्रेटेस्ट ब्लेसिंग – ग्रैंड पा एंड ग्रैंड मा’ थीम के अंतर्गत ‘ग्रैंड पैरेंट्स डे’ बड़ी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें स्कूल प्रबंधन की तरफ़ से बच्चों के दादा-दादी व नाना-नानी को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। इनोसेंट हार्ट्स ग्रीन मॉडल टाऊन में  श्रीमती वाणी विज (एम डी एट चिनार फोर्ज लिमिटेड एंड शीतल फाइबर लिमिटेड) तथा श्री के के सरीन (प्रख्यात सी ए) विशेष अतिथि के रूप में पधारे। इस अवसर पर ग्रैंड पैरेंट्स के लिए सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया, जिसमें पुराने गीतों पर दादा-दादी, नाना-नानी के पैर जमकर थिरके। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो उनके पुराने दिन फिर से लौट आए हों। स्कूल प्रबंधन की तरफ से उनके लिए विभिन्न गेम्स जैसे कंचे (मार्बल्स), लट्टू (स्पिनिंग टॉप) गिल्ली डंडा (टिप-कैट), पिट्ठू गरम (सेवन स्टोन), टिक-टैक-टोक, स्किपिंग रोप, पचेता (पैब्लस) व लूडो का आयोजन किया गया। बच्चे उनके साथ स्कूल में ही परंपरागत खेल खेलते हुए बहुत प्रफुल्लित नज़र आ रहे थे। उन्होंने अपने अनुभव के जरिए बच्चों को कई बातें सिखाई। इस अवसर पर गोल्डन इरा की झलक प्रस्तुत करते हुए दादी माँ की परछत्ती पर पड़ी चीज़ों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें पुराने समय के ब्लैक एंड व्हाइट टीवी, ट्रांजिस्टर, रेडियो,ओखली,चाटी मदानी, पक्खी, छिक्कू, छज्ज, सिलबट्टा आदि रखे हुए थे। इसके अतिरिक्त दादी माँ के घरेलू नुस्खे भी बताए गए कि वे किस प्रकार रसोई घर की चीज़ों का प्रयोग करते हुए शरीर को स्वस्थ कर लेते थे।
स्कूल प्रबंधन ने इस कार्यक्रम में ग्रैंड पैरेंट्स को बुलाकर जहाँ जेनरेशन गैप को कम करने की कोशिश की, वहीं उन्हें कुछ घंटों का अनोखा खुशनुमा पल भी दिया।
डिप्टी डायरेक्टर कल्चरल अफेयर्स श्रीमती शर्मिला नाकरा ने बताया कि बच्चों की परवरिश में माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी की भूमिका भी अहम् होती है। बच्चों रूपी छोटे-छोटे पौधों को संस्कार रूपी जल से दादा-दादी ही सींचते हैं, क्योंकि  बच्चों से उनका एक भावात्मक रिश्ता होता है। इस प्रकार के आयोजनों के जरिए बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ उनमें न  केवल अच्छे संस्कार ही लाना है बल्कि उनके मन में अपने बड़े-बुज़ुर्गों के प्रति सम्मान का भाव भी जागृत करना है।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *