जालंधर 14 अप्रैल (विष्णु) मादक पदार्थो की तस्करी व बिक्री के खिलाफ पुलिस के राज्यव्यापी अभियान के चलते इनकी खपत पर असर तो पड़ा है, लेकिन इसके विकल्प के तौर पर शहरी युवाओं में ई-सिगरेट और ई-हुक्का का क्रेज फिर बढ़ रहा है। जालंधर समेत अन्य शहरों में बड़ी पान की दुकानों और अन्य ठिकानों पर प्रतिबंध के बावजूद इनकी बिक्री हो रही है। इतना नहीं फ्लेवर्ड निकोटिन के साथ अन्य घातक मादक पदार्थो का भी इसके जरिए उपयोग करने होने की जानकारी मिल रही है।सूत्रों की मानें तो पुलिस व जांच एजेन्सियों की आंखों में धूल झोंककर ये गोरखधंधा पंजाब समेत प्रदेश के सभी बड़े शहरों के पॉश इलाकों में चल रहा है। चोरी छिपे उत्पादन व विदेशों से तस्करी के नेटवर्क के जरिए इन्हें लुककर विक्रेताओं तक पहुंचाया जाता है। पांच सौ से लेकर दो हजार रुपए तक की इलेक्ट्रोनिक सिगरेट्स जिन्हें पेन हुक्का कहा जाता है। इसके अलावा दो हजार से लेकर पांच हजार रुपए तक इलेक्ट्रॉनिक हुक्का जिन्हें वेब हुक्का भी कहा जाता है, बेचे जाते हैं। पेन हुक्का से साइज में बड़े और डिजीटल मॉडल होने के कारण वेब हुक्का की मांग भी बढ़ रही है।युवतियां भी चपेट में :ई- हुक्का व सिगरेट इनकी बैटरी व कॉर्टेज अधिक समय तक चलती है। विभिन्न किस्म के फ्लेवर व आम सिगरेट के जैसी दुर्गन्ध नहीं होने के कारण सिर्फ लडक़े ही नहीं, लड़कियां भी बड़ी संख्या में इनका उपयोग कर रही है। स्कूल व कॉलेज के छात्र-छात्राओं में इसका आकर्षण बढ़ रहा है।क्या है पेन या वेब हुक्का :पेन या वेब हुक्का में सामान्य सिगरेट या हुक्के की तरह तंबाकू नहीं होता है, बल्कि तरल निकोटिन की कार्टेज होती है। जो सिगरेट या हुक्के में तंबाकू की तरह जलता नहीं, बल्कि गर्म होकर भाप में बदलता है। जिसकी वजह से तंबाकू के जलने जैसी गंध, घुंआ और टार भी नहीं निकलता। भांप को कश लगा कर खींचा जाता हैं जो आम सिगरेट और हुक्के के कश जैसा महसूस होता है। कश लगाने पर एक छोटी एलइडी लाइट भी जलती है। कुछ पेन हुक्का यानी ई-सिगरेट यूज एण्ड थ्रो होते हैं तो अधिकतर मॉडलों में चार्जबेल बैटरी व रिफिल कार्टेज होते हैं।खतरनाक है ई-सिगरेट व हुक्का :ई-सिगरेट का आविष्कार चीन में हुआ था। शुरू में इसे परंपरागत सिगरेट छोडऩे के विकल्प के रूप में प्रचारित किया गया। दावा किया गया था कि इससे आम सिगरेट के मुकाबले 90 फीसदी कम नुकसान होता है। इसमें मौजूद तरल निकोटिन में विभिन्न किस्म के फ्लेवर व अन्य चीजों की मिलावट के चलते सिगरेट छोडऩे वालों में तो लोकप्रिय नहीं हुई, बल्कि युवा इसके शिकंजे में फंसने लगे।खासकर स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं। डॉक्टरों की माने तो निकोटिन की मौजूदगी ह्रदय, लीवर, किडनी, फेफड़ों, गले व मुंह के लिए खतरनाक है। जो कैंसर व अन्य रोगों का खतरा बढ़ा देती है। इतना ही नहीं, एडिक्ट होने पर व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचाती है। 2018 में अमरीका में हुई रिसर्च में इसकी पुष्टि हुई है।
- भारत में है ई-सिगरेट पर प्रतिबंध :
विश्व स्वास्थ्य संगठन गाइडलाइन व अन्य कई देशों की तरह भारत सरकार ने 2019 से ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके निर्माण, वितरण, बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अध्यादेश में पहली बार नियम तोडऩे पर एक साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रस्ताव है। एक से अधिक बार नियमों का उल्लंघन करने पर तीन साल तक कैद व पांच लाख का जुर्माना भी हो सकता है।