

13 अप्रैल 1924 की श्रीराम नवमी तिथि में माता श्रीमति सुधांशु बाला गुहराय तथा पिता श्री धीरेंद्र कुमार गुहराय के गृह ग्वालपाड़ा धाम आसाम में परमपूज्यपाद ॐ विष्णुपाद 108 त्रिदंडीस्वामी श्री श्रीमद भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी गुरु महाराज जी का प्राकटय हुआ।बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि होने के कारण महाराज जी ने प्रत्येक कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तथा B.Sc करने के उपरांत कोलकत्ता यूनिवर्सिटी से MA फिलॉसफी गोल्ड मैडल के साथ की।माता पिता द्वारा दिये अच्छे संस्कारो के कारण इनमे बचपन से ही चरित्रवान, आदर्शवान,पवित्र,दयावान,विनम्र,
आज्ञाकारी,धार्मिकता आदि गुण प्रचुरता में विद्यमान थे।

वेस्ट बंगाल सिविल सर्विस क्लियर करने पर भी संसार के प्रति तीव्र वैराग्य होने के कारण इन्होंने नौकरी को जॉइन नही किया तथा अपने गुरुदेव अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के संस्थापक आचार्यदेव नित्यलीला प्रविष्ट ॐ विष्णुपाद 108 त्रिदंडीस्वामी श्री श्रीमद भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी के संग में आये जिन्होंने महाराज जी को इनकी भक्ति भाव को देखकर 31 अगस्त 1947 को श्री हरिनाम ,21 जुलाई 1948 को दीक्षा तथा 23 अक्टूबर 1961 को सन्यास प्रदान किया।अपने गुरुजी के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखते हुए महाराज जी ने श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जी की शिक्षाओं,श्रीमद भगवद महापुराण,श्रीमद भगवद्गीता, श्री चैतन्य चरिता अमृत आदि ग्रंथों का आचरण युक्त होकर भारत,एशिया,यूरोप,अमेरिका,आदि के इकत्तीस देशों में जाकर श्रीहरिनाम संकीर्तन और श्री हरिकथा द्वारा प्रचार करके सैकड़ो भक्तों का मंगल किया।अपनी दिव्य लेखनी से महाराज जी ने बंगला,हिंदी,उड़िया,आसामी, अंग्रेज़ी भाषा मे ग्रंथ प्रकाशित किये जिनमे से गौर पार्षद,भगवद अर्चन विधि,गुरु तत्व,ध्रुव चरित्र,प्रह्लाद चरित्र,शुद्ध भक्ति,दशावतार, पावन जीवन चरित्र,Sri Chaitanya,His Life and Associates,A Taste of Transcedence,Nectar Of Harikatha आदि प्रमुख ग्रंथ थे।
इनकी गुरु भक्ति,प्रशानिक योग्यताओं को देखकर इनके गुरु जी ने इन्हें अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के आचार्यदेव पद प्रदान किया।अपने जीवन काल मे महाराज जी वर्ल्ड वैष्णव एसोसिएशन के प्रेजिडेंट बने तथा GOKUL (Global Organisation of Krishna Chaitanya’s Universal Love )संस्था की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत की।आज अनेकों त्रिदंडी,सन्यासी,ब्रह्मचारी,गृहस्थ भक्त उनके द्वारा बताए शुद्ध वैष्णव मार्ग को अवलंबन कर भजन कर रहे है। अस्वस्थ लीला करते हुए गुरु जी ने 20 अप्रैल 2017 को अपने अनेको भक्त सेवकों को विरह में छोड़कर श्री राधा गोबिंद जी की नित्यलीला में प्रविष्ट किया।पूरे विश्व मे 22अप्रैल 2025 को महाराज जी की तिरोभाव तिथि मनाई जा रही है। उनके बताए आदर्शो पर चलना ही उनके श्री चरणों मे सच्ची श्रद्धांजलि है।
कुलदीप मेहता
जनरल सेक्रेटरी
श्री गौर हरि संकीर्तन मंडल(रजि)
जालंधर।

